Ramzan Mubarak 2020
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इस माह की विशेषताएं
- महीने भर के रोज़े (उपवास) रखना
- रात में तरावीह की नमाज़ पढना
- क़ुरान तिलावत (पारायण) करना
- एतेकाफ़ बैठना, यानी गांव और लोगों की अभ्युन्नती व कल्याण के लिये अल्लाह से दुआ (प्रार्थना) करते हुवे मौन व्रत रखना.
- ज़कात देना
- दान धर्म करना
- अल्लाह का शुक्र अदा करना। अल्लाह का शुक्र अदा करते हुवे इस महीने के गुज़रने के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद उल-फ़ित्र मनाते हैं।
इत्यादी को प्रमुख माना जाता है। कुल मिलाकार पुण्य कार्य करने को प्राधान्यता दी जाती है। इसी लिये इस मास को नेकियों और इबादतों का महीना यानी पुण्य और उपासना का मास माना जाता है।
Ramzan Mubarak 2020 |
रमज़ान और कुरान का इतिहास
मुसलमानों के विश्वास के अनुसार इस महीने की 27वीं ओर 29वीं रात शब-ए-क़द्र की कहा गया है। इस महीने की 27वीं रात को क़ुरान नाज़िल (अवतरण) हुआ। इसी लिये, इस महीने में क़ुरान ज़्यादा पढना पुण्यकार्य माना जाता है। तरावीह की नमाज़ में महीना भर कुरान का पठन (तिलावत) किया जाता है। ओर हर एक घर में कुरान पढ़ते हैं। इसी तरह इस महीने में लाखों केेरोडो कुरान पढे जााते है। ओर अल्लाह की इसी तरह खूब उपासना (इबादत) होती हैं।
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Fast (रोज़ा)
रमजान का महीना कभी 29 दिन का तो कभी 30 दिन का होता है। इस महीने में उपवास (रोज़ा) रखते हैं। उपवास को अरबी में "सौम", इसी लिये इस मास को अरबी में माह-ए-सियाम भी कहते हैं। फ़ारसी में उपवास को रोज़ा कहते हैं। भारत के मुसलिम समुदाय पर फ़ारसी प्रभाव ज़्यादा होने के कारण उपवास को फ़ारसी शब्द ही उपयोग किया जाता है। इस दिन आल्लाह कि खूब इबादत कि जाती है।
उपवास के दिन सूर्योदय (सुरज निकल ने) से दो घण्टे पहले कुछ नाश्ता ओर खाना खाया जाता है। जिसे सहरी कहते हैं। दिन भर न तो कुछ खाते हैं न पीते हैं। शाम को सूर्यास्तमय (सूरज ढलने) के बाद रोज़ा खोला जााता है। जिसे इफ़्तारी कहते हैं। ये ताकत सब को अल्लाह ही देता है।
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( रमजान के बारे में कुछ बातें )
मुस्लिम समुदाय में रमजान को लेकर निम्न बातें अक्सर देखी जाती हैं।
- रमजान को नेकियों या पुन्यकार्यों का मौसम-ए-बहार (बसंत) कहा गया है। रमजान को नेकियों का मौसम भी कहा जाता है। इस महीने में मुस्लमान अल्लाह की इबादत (उपासना) ज्यादा करता है। अपने रब को खुश (राज़ी) करने के लिए इबादत के साथ, कुरआन तिलावत, दान धर्म करता है।
- यह महीना समाज के गरीब और जरूरतमंद बंदों के साथ हमदर्दी का है। इस महीने में रोजादार को इफ्तार कराने वाले के गुनाह माफ हो जाते हैं। पैगम्बर मोहम्मद सल्ल. से आपके किसीसहाबी (साथी) ने पूछा- अगर हममें से किसी के पास इतनी गुंजाइश न हो क्या करें। तो हज़रत मुहम्मद ने जवाब दिया कि एक खजूर या पानी से ही इफ्तार करा दिया जाए।
- यह महीना मुस्तहिक लोगों की मदद करने का महीना है। रमजान के तअल्लुक से हमें बेशुमार हदीसें मिलती हैं और हम पढ़ते और सुनते रहते हैं लेकिन क्या हम इस पर अमल भी करते हैं। ईमानदारी के साथ हम अपना जायजा लें कि क्या वाकई हम लोग मोहताजों और नादार लोगों की वैसी ही मदद करते हैं जैसी करनी चाहिए? सिर्फ सदकए फित्र देकर हम यह समझते हैं कि हमने अपना हक अदा कर दिया है।
- जब अल्लाह की राह में देने की बात आती है तो हमें कंजूसी नहीं करना चाहिए? अल्लाह की राह में खर्च करना अफज़ल है। ग़रीब चाहे वह अन्य धर्म के क्यों न हो, उनकी मदद करने की शिक्षा दी गयी है इस्लाम में,और दूसरों के काम आना भी एक इबादत समझी जाती है।
- इस्लाम में ज़कात, सदक़ा, फित्रा, खैरात, ग़रीबों की मदद, दोस्त अहबाब में जो ज़रुरतमंद हैं उनकी मदद करना ज़रूरी समझा और माना जाता है।
- अपनी ज़रूरीयात को कम करना और दूसरों की ज़रूरीयात को पूरा करना अपने गुनाहों को कम और नेकियों को ज़्यादा कर देता है।
- मोहम्मद सल्ल ने फरमाया है जो शख्स नमाज के रोजे ईमान और एहतेसाब (अपने जायजे के साथ) रखे उसके सब पिछले गुनाह माफ कर दिए जाएँगे। रोजा हमें जब्ते नफ्स (खुद पर काबू रखने) की तरबियत अता करता है। हममें परहेजगारी पैदा करता है।
Ramzan Mubarak 2020 |
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Ramzan 2020: रमजान का महीना हर मुसलमान के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, जिसमें 30 दिनों तक रोजे रखे जाते हैं. इस्लाम के मुताबिक, पूरे रमजान को तीन हिस्सों में बांटा गया है, जो पहला, दूसरा और तीसरा अशरा कहलाता है.
Ramzan 2020: रमजान में होते हैं 3 अशरे, हर अशरे का है अलग महत्व
Ramzan Time Table 2020 |
Ramzan 2020: रमजान का महीना हर मुसलमान के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, जिसमें 30 दिनों तक रोजे रखे जाते हैं. इस्लाम के मुताबिक, पूरे रमजान को तीन हिस्सों में बांटा गया है, जो पहला, दूसरा और तीसरा अशरा कहलाता है. अशरा अरबी का 10 नंबर होता है. इस तरह रमजान के पहले 10 दिन (1-10) में पहला अशरा, दूसरे 10 दिन (11-20) में दूसरा अशरा और तीसरे दिन (21-30) में तीसरा अशरा बंटा होता है.
इस तरह रमजान के महीने में 3 अशरे होते हैं. पहला अशरा रहमत का होता है, दूसरा अशरा मगफिरत यानी गुनाहों की माफी का होता है और तीसरा अशरा जहन्नम (Hell) की आग से खुद को बचाने के लिए होता है. रमजान के महीने को लेकर पैगंबर मोहम्मद ने कहा है, रमजान की शुरुआत में रहमत है, बीच में मगफिरत यानी माफी है और इसके अंत में जहन्नम (Hell) की आग से बचाव है.
रमजान के शुरुआती 10 दिनों में रोजा-नमाज करने वालों पर अल्लाह की रहमत होती है. रमजान के बीच यानी दूसरे अशरे में मुसलमान अपने गुनाहों से पवित्र हो सकते हैं. वहीं, रमजान के आखिरी यानी तीसरे अशरे में जहन्नम की आग से खुद को बचा सकते हैं.
Ramzan Mubarak 2020 |
रमजान के 3 अशरे और उनका महत्व-
1. रमजान का पहला अशरा (First Stage of Ramadan- 'Mercy')-
रमजान महीने के पहले 10 दिन रहमत के होते हैं. रोजा नमाज करने वालों पर अल्लाह की रहमत होती है. रमजान के पहले अशरे में मुसलमानों को ज्यादा से ज्यादा दान कर के गरीबों की मदद करनी चाहिए. हर एक इंसान से प्यार और नम्रता का व्यवहार करना चाहिए.
2. रमजान का दूसरा अशरा (Second Stage of Ramadan- 'Forgiveness')-
रमजान के 11वें रोजे से 20वें रोजे तक दूसरा अशरा चलता है. यह अशरा माफी का होता है. इस अशरे में लोग इबादत कर के अपने गुनाहों से माफी पा सकते हैं. इस्लामिक मान्यता के मुताबिक, अगर कोई इंसान रमजान के दूसरे अशरे में अपने गुनाहों (पापों) से माफी मांगता है, तो दूसरे दिनों के मुकाबले इस समय अल्लाह अपने बंदों को जल्दी माफ करता है.
3. रमजान का तीसरा अशरा (Third Stage of Ramadan 'Nijat')-
रमजान का तीसरा और आखिरी अशरा 21वें रोजे से शुरू होकर चांद के हिसाब से 29वें या 30वें रोजे तक चलता है. ये अशरा सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. तीसरे अशरे का उद्देश्य जहन्नम (Hell) की आग से खुद को सुरक्षित रखना है. इस दौरान हर मुसलमान को जहन्नम से बचने के लिए अल्लाह से दुआ करनी चाहिए. रमजान के आखिरी अशरे में कई मुस्लिम मर्द और औरतें एहतकाफ में बैठते हैं. बता दें, एहतकाफ में मुस्लिम पुरुष मस्जिद के कोने में 10 दिनों तक एक जगह बैठकर अल्लाह की इबादत करते हैं, जबकि महिलाएं घर में रहकर ही इबादत करती हैं.
Varanasi Ramadan Calendar 2020
Roza | Date | Sehr | Iftaar |
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1 | 25 April 2020 | 04:05 | 18:27 |
2 | 26 April 2020 | 04:04 | 18:28 |
3 | 27 April 2020 | 04:03 | 18:28 |
4 | 28 April 2020 | 04:02 | 18:29 |
5 | 29 April 2020 | 04:01 | 18:29 |
6 | 30 April 2020 | 04:00 | 18:30 |
7 | 01 May 2020 | 03:59 | 18:30 |
8 | 02 May 2020 | 03:58 | 18:31 |
9 | 03 May 2020 | 03:57 | 18:31 |
10 | 04 May 2020 | 03:57 | 18:32 |
11 | 05 May 2020 | 03:56 | 18:32 |
12 | 06 May 2020 | 03:55 | 18:33 |
13 | 07 May 2020 | 03:54 | 18:33 |
14 | 08 May 2020 | 03:53 | 18:34 |
15 | 09 May 2020 | 03:52 | 18:34 |
16 | 10 May 2020 | 03:51 | 18:35 |
17 | 11 May 2020 | 03:51 | 18:35 |
18 | 12 May 2020 | 03:50 | 18:36 |
19 | 13 May 2020 | 03:49 | 18:36 |
20 | 14 May 2020 | 03:48 | 18:37 |
21 | 15 May 2020 | 03:48 | 18:37 |
22 | 16 May 2020 | 03:47 | 18:38 |
23 | 17 May 2020 | 03:46 | 18:39 |
24 | 18 May 2020 | 03:46 | 18:39 |
25 | 19 May 2020 | 03:45 | 18:40 |
26 | 20 May 2020 | 03:45 | 18:40 |
27 | 21 May 2020 | 03:44 | 18:41 |
28 | 22 May 2020 | 03:43 | 18:41 |
29 | 23 May 2020 | 03:43 | 18:42 |
Nice
ReplyDeleteBahut hi pyaara likha h
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